hindisamay head


अ+ अ-

कविता

बीमार रामदीन

प्रदीप शुक्ल


रामदीन
लगते हैं बिल्कुल बीमार
सुबह से ही
बैठे हैं घेर कर दुआर

बोल रहे
इमरजेंसी कब खतम होगी?
सच्ची में गांधी था
बहुत बड़ा जोगी,
अच्छा है
छोड़ गया जल्दी संसार

लाना था
अभी उन्हें मिट्टी का तेल
घर के अंदर चूहे
दंड रहे पेल
कहते,
अमरीका से और लो उधार

जुम्मन के लड़के को
हाथ मत लगाना
मेरा वो बचपन का
यार है पुराना
गाय तेरी बँधी होगी
और किसी द्वार
रामदीन
लगते हैं बिल्कुल बीमार
सुबह से ही
बैठे हैं घेर कर दुआर।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में प्रदीप शुक्ल की रचनाएँ